Pahalgam Terror Attack: शादी के छह दिन बाद शहादत: लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की बहादुरी और पत्नी हिमांशी की दिल छू लेने वाली विदाई,हनीमून से शहीद तक हिमांशी नरवाल की आँखों के सामने बिछड़ा जीवनसाथी

Pahalgam Terror Attack
शादी के छह दिन बाद शहादत: लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की बहादुरी और पत्नी हिमांशी की दिल छू लेने वाली विदाई:-

16 अप्रैल को शादी, 22 अप्रैल को शहादत — ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल की सच्ची और बेहद भावुक कर देने वाली दास्तान है। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

हरियाणा के करनाल जिले से ताल्लुक रखने वाले 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने 16 अप्रैल को हिमांशी से शादी की थी। तीन दिन बाद रिसेप्शन हुआ और फिर दोनों हनीमून के लिए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम रवाना हो गए। लेकिन किसे पता था कि ये हनीमून एक ऐसी त्रासदी में बदल जाएगा, जो देश की आंखें नम कर देगा।

सोमवार को दोनों बायसरण की खूबसूरत वादियों में ‘भेलपुरी’ खा रहे थे कि तभी एक आतंकी ने अचानक हमला कर दिया और लेफ्टिनेंट नरवाल को सिर में गोली मार दी। हिमांशी की आंखों के सामने उनके जीवनसाथी की जान चली गई। चेहरा खून से सना था, और वो कहती रहीं, “हम भेलपुरी खा रहे थे, तभी एक आदमी आया और मेरे पति को गोली मार दी।”

अगले दिन जब शहीद विनय नरवाल का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया, तब हिमांशी उनके ताबूत के पास खड़ी थीं। आंखों में आंसू, दिल में तूफान, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने पति को सैल्यूट किया और ऊँची आवाज़ में कहा — “जय हिंद।”

हिमांशी ने ताबूत के सामने सिर झुकाकर श्रद्धांजलि दी, फिर रोती हुई बोलीं, “उनकी आत्मा को शांति मिले… हम उन्हें हर तरह से गर्व महसूस कराएंगे। यह उन्हीं की वजह से है कि दुनिया आज भी ज़िंदा है।”

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी इस मौके पर मौजूद रहीं और हिमांशी को ढांढस बंधाया। इस हमले में विनय समेत 26 लोग शहीद हुए, जिनमें एक खुफिया ब्यूरो के अधिकारी भी शामिल थे।

विनय के दादा हवा सिंह, जो खुद बीएसएफ के रिटायर्ड अधिकारी हैं, ने बताया कि विनय बचपन से ही देश की सेवा करना चाहता था। “मैंने उसे कई बार समझाया कि बॉर्डर ड्यूटी कितनी कठिन होती है, लेकिन वो नहीं माना,” उन्होंने कहा।

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका साहस, समर्पण और बलिदान हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगा। और हिमांशी — उन्होंने जिस तरह अपने पति को अंतिम सलामी दी, वो पूरे देश को एक नई प्रेरणा दे गईं।

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